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Tuesday, July 5, 2011

कहा उसने , डाली से टूट कर पत्ता सदैव भटकता रहता है .मासूम कदमो के नीचे यदि माँ की हथेली न हो तो वो पाँव जीवन भर जलते रहते हैं .ऐसे ही किसी की कुछ बातें सुनी तो ये शब्द कविता के जामा पहन मेरी हथेलियों में दुबक गए .

क्षणिकाएँ  
 

बच्ची  के मुट्ठी में
माँ का आँचल देख
अपनी हथेली सदैव
खाली लगी
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माँ पर कविता लिखूँ कैसे
मेरे पास है
एक  तस्वीर
जिसे माँ बताया गया
और कुछ फुसफुसाते  शब्द
"बिन माई कै बिटिया "
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ये दीवारे ,ये आँगन
जानते हैं मुझे
पर ये मेरे नहीं है
बहुत से लोग है यहाँ
लेकिन रिश्तेदार नही
ये बड़ी ईमारत
घर नहीं, पर घर है
इस  के ऊपर लिखा है
'अनाथाश्रम '
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