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Thursday, May 22, 2014

जब वो उदास होती है
तितलियों से मांग के रंग
बनाती  है इन्द्रधनुष
खामोश शब्दों मे
भरती है गुनगुनाहट
लेट कर घास पर
ढूंढती है चेहरे  बादलों मे
खेलती है पानी से
 बटोरती है सीपें
बना के अपने चारों ओर क्यारियाँ
खुशियाँ बीजती है
दौड़ती है नंगे पाँव
ओस के खेतों मे
खुद को दुलारती ,है
 मनाती है खुद ही को
जब वो उदास होती है
अपने बहुत पास होती है